
निगोहां।लखनऊ,सावन मास का पहला सोमवार आते ही भंवरेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। लखनऊ, रायबरेली और उन्नाव की सीमा पर स्थित इस प्राचीन शिवधाम में लाखों श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का जलाभिषेक किया और दर्शन लाभ लिया। यह मेला पूरे सावन भर चलता है और हर सोमवार को लाखों की संख्या में दूर-दराज़ से श्रद्धालु यहाँ पहुंचते हैं।रविवार देर रात से ही श्रद्धालुओं का सैलाब मंदिर की ओर बढ़ने लगा था। लोगों ने परंपरा के अनुसार सई नदी में स्नान कर कलश में जल भरा और लगभग 6 किलोमीटर लंबे कठिन व जर्जर मार्ग से मंदिर तक की यात्रा की। हर तरफ बम-बम भोले और हर-हर महादेव की गूंज सुनाई दी।मेले के दौरान मंदिर मार्ग और परिसर में दर्जनों भंडारे भी लगे रहे। विभिन्न सामाजिक संगठनों, स्थानीय निवासियों व व्यापारियों ने मिलकर श्रद्धालुओं के लिए भोजन, जल और शीतल पेय की उत्तम व्यवस्था की। श्रद्धालु भंडारों में बैठकर भोजन करते नजर आए और स्वयंसेवकों की सेवा भाव की सराहना करते रहे।*तीनों जिलों की पुलिस और प्रशासन रहा मुस्तैद*श्रद्धालुओं की सुरक्षा के मद्देनजर रायबरेली, लखनऊ और उन्नाव जिलों की पुलिस के साथ-साथ पैरा मिलिट्री बल भी तैनात रहा। निगोहां थाना प्रभारी अनुज कुमार तिवारी के नेतृत्व में पुलिस बल लगातार गश्त करता रहा। रायबरेली पुलिस ने मंदिर परिसर की निगरानी की, जबकि उन्नाव के मौरावां थाना क्षेत्र की पुलिस सई नदी घाट तक सक्रिय रही। जगह-जगह सी सी टीवी कैमरे लगाए गए, बेरिकेडिंग की गई और कंट्रोल रूम के माध्यम से भीड़ पर नजर रखी गई। इस बार भी प्रशासन ने पूरी सतर्कता के साथ सभी व्यवस्थाएं सुनिश्चित कीं।*जेबकतरे रंगे हाथ पकड़े गए, कुछ सड़क दुर्घटनाएं भी हुईं*श्रद्धालुओं की भीड़ में जेबकतरे भी सक्रिय रहे, लेकिन सतर्क पुलिस बल ने कई जेबकतरों को रंगे हाथ पकड़ लिया। उनके पास से नकदी, मोबाइल और पर्स बरामद हुए। वहीं कुछ हल्की सड़क दुर्घटनाएं भी दर्ज की गईं, मगर कोई गंभीर जनहानि नहीं हुई।*नदी स्नान और जलाभिषेक के लिए तय की गईं सीमाएं*श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए सई नदी में स्नान की सीमाएं निर्धारित की गई थीं। गहरे जल में प्रवेश पर प्रतिबंध था। मंदिर में जलाभिषेक के लिए अलग प्रवेश और निकास व्यवस्था की गई, जिससे भीड़ नियंत्रित रही और दर्शन सुचारु रूप से सम्पन्न हुए।*ऐतिहासिक मान्यता से जुड़ा है भंवरेश्वर धाम*भंवरेश्वर मंदिर सिर्फ श्रद्धा का केंद्र ही नहीं, बल्कि इतिहास का गवाह भी है। मान्यता है कि मुगल शासक औरंगजेब की सेना ने जब शिवलिंग को खंडित करने का प्रयास किया, तब उसमें से भंवरे (काले ततैया) निकलकर सैनिकों पर टूट पड़े। चमत्कारिक घटना से भयभीत होकर सेना पीछे हट गई और तभी से इस स्थान को “भंवरेश्वर” कहा जाने लगा।प्रशासन ने मेले की व्यवस्थाओं पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि पूरे सावन भर प्रत्येक सोमवार को इसी तरह की सुरक्षा और सेवा व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी। श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और शांतिपूर्वक दर्शन करें।