मोहनलालगंज पुलिस ने निभाया इंसानियत का फर्ज, कराया महिला का अंतिम संस्कार..……
मोहनलालगंज।लखनऊ, कहते हैं कि पुलिस सिर्फ कानून का पालन कराने वाली नहीं, बल्कि जरूरत के वक्त समाज का सहारा भी बनती है। इसका उदाहरण बुधवार को मोहनलालगंज क्षेत्र में देखने को मिला, जब अपनों ने मुंह मोड़ लिया तो मोहनलालगंज पुलिस ने आगे बढ़कर एक महिला का अंतिम संस्कार कराया और इंसानियत की मिसाल पेश की।मामला मोहनलालगंज थाना क्षेत्र के उत्तरगांव मजरा राधाकृष्ण खेड़ा का है, जहां की 30 वर्षीय महिला रेनू की प्रसव के बाद बुधवार सुबह मौत हो गई। जानकारी के अनुसार, करीब दो वर्ष पूर्व गांव के ही आलोक पुत्र गणेश प्रसाद ने रेनू से प्रेम विवाह किया था। इस विवाह से दोनों परिवार नाराज चल रहे थे। शादी के बाद से ही दोनों पति-पत्नी हरकंश गढ़ी के पास एक कमरे में किराए पर रह रहे थे।तीन दिन पहले रेनू ने एक बच्चे को जन्म दिया, लेकिन दुर्भाग्यवश नवजात की मौत हो गई। इसके बाद रेनू की तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई। मंगलवार को हालत गंभीर होने पर आलोक उसे लोकबंधु राजनारायण अस्पताल लेकर गया, जहां से डॉक्टरों ने उसे किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया। मगर आर्थिक तंगी के कारण वह उसे लेकर घर लौट आया, और बुधवार की सुबह रेनू ने दम तोड़ दिया।रेनू की मौत के बाद आलोक ने अपने परिजनों और ससुराल पक्ष से अंतिम संस्कार के लिए मदद मांगी, लेकिन दोनों पक्षों ने उसे ठुकरा दिया। घर में न रिश्तेदार आगे आए, न कोई आर्थिक सहारा मिला। ऐसे में निराश आलोक ने पुलिस से मदद की गुहार लगाई।सूचना मिलते ही मोहनलालगंज थाना क्षेत्र के चौकी इंचार्ज निमेष दुबे, हेड कांस्टेबल सर्वेश कुमार और महिला कांस्टेबल सपना गुप्ता तुरंत मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को समझाने-बुझाने का प्रयास किया, मगर किसी ने भी अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। इसके बाद पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से आगे बढ़कर स्वयं ही अंतिम संस्कार की व्यवस्था की और पूरी श्रद्धा से रेनू का अंतिम संस्कार कराया।पुलिसकर्मियों की इस संवेदनशील पहल की क्षेत्र में व्यापक सराहना की जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि जब अपने मुंह मोड़ लेते हैं, तब खाकी वर्दी ही सबसे बड़ा सहारा बनती है। चौकी इंचार्ज निमेष दुबे और उनकी टीम का यह मानवीय कार्य लोगों के दिलों में पुलिस के प्रति सम्मान को और मजबूत कर गया है।
