प्रत्येक माता-पिता का कर्तव्य है कि वह बच्चों को श्रीराम के आदर्शों से परिचित कराएं……
मोहनलालगंज। लखनऊ,श्रीधाम वृंदावन से पधारे महराज श्री दिनेशानंद मृदुल जी के मुखारबिंदु से धर्मावत खेड़ा गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर भक्तिमय माहौल बना रहा। कथा के दौरान महराज श्री ने कहा कि जब पृथ्वी पर अधर्म, अपराध और अत्याचार बढ़ते हैं तब भगवान विष्णु अनेक अवतारों में प्रकट होकर धर्म की पुनः स्थापना करते हैं। उनका प्राकट्य गौ रक्षा, ब्राह्मण, संत, देवता, मानव और संपूर्ण पृथ्वी की रक्षा के लिए होता है।
महराज श्री ने प्रभु श्रीराम के प्राकट्य एवं बाल लीलाओं का जीवंत वर्णन किया। उन्होंने कहा कि आज के समय में प्रत्येक माता-पिता का कर्तव्य है कि वह बच्चों को संस्कार दें और उन्हें श्रीराम के आदर्शों से परिचित कराएं। श्रीराम के जीवन से सेवा भाव, आज्ञापालन, संयम, सम्मान, सरलता, क्षमा और विनम्रता सीखनी चाहिए।आगे कथा में योगेश्वर श्रीकृष्ण के प्राकट्य प्रसंग पर बोलते हुए महराज श्री ने कहा कि श्रीकृष्ण का चरित्र हमें आसक्ति, वासना, लोभ और मोह का त्याग करना सिखाता है। संसार नश्वर है, यहां कुछ भी स्थायी नहीं है। यदि मानव अपने अंदर क्रोध, अहंकार और कामना का त्याग कर दे तो वही कृष्ण अवतरण का वास्तविक अर्थ समझ सकता है।कथा के समापन पर हुए भजन-कीर्तन में श्रद्धालु भावविभोर होकर झूम उठे और पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। अंत में आरती एवं प्रसाद वितरण के साथ कथा का विश्राम हुआ।
