
उन्नाव सरकार द्वारा बेजुबान जानवरों हेतु नाना प्रकार की योजनाएं चालू की गई ताकि इनके रहने और खाने की पूर्ण व्यवस्था हो सके और किसान भाइयों को भी राहत मिले किंतु इतने के बावजूद जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी व कर्तव्यों से विमुख हैं इसीलिए बेजुबान जानवर है हैरान और किसान है परेशान। सरकार के द्वारा बेजुबान जानवरों के रहने खाने के साथ-साथ उनके इलाज हेतु एम्बुलेंस तक की व्यवस्था की गई जिसके लिए करोड़ों रुपया खर्च करने का प्राविवधान है किंतु इस व्यवस्था को प्रधान और सरकारी कर्मचारी मिलकर अपनी आय का स्रोत बनाए हुए हैं कहने को तो बहुत सी गौशाला ए निर्मित हैं किंतु उन गौशालाओं के अंदर कुछ एक बूढ़े अपाहिज जर्जर देह वाले जानवर ही दिखाई देते हैं या तो उन्हें पेट भर भोजन नहीं मिलता या फिर वह कमजोर है इसलिए रात में जब प्रधान जनों के कारिंदे गौशालाओं के गेट को खोल देते हैं ताकि यह जानवर बाहर चले जाएं और उनके निमित्त जो भी आहार और धन प्राप्त हुआ है उसमें हम बंदरबांट कर सकें आजकल बरसात के मौसम में चारों तरफ खेतों में पानी भरा हुआ है जानवरों के लिए मात्र एक सड़क मार्ग ही आश्रय स्थल है और सड़क में आश्रय लेने के कारण आए दिन घटनाएं दुर्घटनाएं हो रहे हैं इन बेजुबान जानवरों को कौन गौशाला यानी इनके आश्रय स्थल तक पहुंचाए इसमें भी बड़ी उलझन है कोई कहता यह हमारे ग्राम सभा के नहीं है कोई कहता है मेरे नहीं है सरकार जहां इनके रहने खाने की व्यवस्था के साथ-साथ इनके इलाज के लिए एंबुलेंस तक की व्यवस्था कर चुकी है सरकार से जनता की ओर से अनुरोध है कि इन्हें सड़क से गौशाला तक पहुंचाने की भी व्यवस्था की जाए और गौशालाओं में विधिवत लेखा-जोखा रखा जाए साथ ही साथ सभी जानवरों को टैग किया जाए ताकि आसानी से उनकी पहचान हो सके कि यह जानवर किसका हैं और जो अपने जानवर को आवारा छोड़ें उससे भरपाई ली जाए।
