
मोहनलालगंज।डीएपी खाद वितरण के लिए लागू की गई नई फार्मर आईडी व्यवस्था अब किसानों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। नई व्यवस्था के तहत बिना समिति सदस्य बने किसी किसान को खाद नहीं दी जाएगी, जिससे किसानों में भारी आक्रोश देखने को मिल रहा है। निगोहां के बैरिसालपुर स्थित बहुउद्देश्यीय सहकारी समिति में सोमवार को दर्जनों किसान खाद के लिए लाइन में खड़े दिखाई दिए। लेकिन समिति सचिव ने साफ कहा कि “बिना फार्मर आईडी के किसी को खाद नहीं मिलेगी।” इसके चलते सिर्फ कुछ ही किसानों को खाद मिल सकी जबकि बाकी किसानों को मायूस होकर लौटना पड़ा।किसानों ने आरोप लगाया कि फार्मर आईडी न होने पर 226 रुपए लेकर सदस्य बनाया जा रहा है, जो गलत है। किसानों ने कहा कि इस समय आलू, सरसों और गेहूं की बुआई का समय है, ऐसे में यह व्यवस्था किसानों के साथ “लूट” के समान है।किसानों रामसनेही, अवधेश, धर्मेंद्र समेत कई लोगों ने बताया कि सदस्यता के लिए आधार कार्ड, खतौनी, दो फोटो और 226 रुपए मांगे जा रहे हैं। कई किसान मजबूर होकर खाद लिए बिना लौट गए।समिति सचिव सलमान ने बताया कि “ऊपर से आए आदेश के अनुसार अब बिना समिति सदस्य बने किसी को खाद नहीं दी जाएगी। सदस्यता के लिए किसानों को आवश्यक दस्तावेजों के साथ आवेदन करना होगा।”
खतौनी बंद,अब खाद कैसे मिलेगी…
निगोहां के चकबंदी प्रभावित गांवों के किसानों की परेशानी और बढ़ गई है। शेरपुर लवल सहित कई गांवों में खतौनी निकलना बंद है, जिससे फार्मर आईडी बनवाना संभव नहीं हो पा रहा।
गांव के किसान श्रावण ने कहा, “सरकार ने बिना फार्मर आईडी के खाद बंद कर दी है, लेकिन खतौनी निकल नहीं रही। अब हम बुआई कैसे करें।किसानों मांग की है कि चकबंदी वाले गांवों की खतौनी निकालने की सुविधा तत्काल बहाल की जाए या फिर पुरानी खाद वितरण व्यवस्था को अस्थायी रूप से लागू रखा जाए, ताकि किसान समय पर बुआई कर सकें।