भगवान राम अवध की धरती पर माता कौशल्या के कोसल प्रदेश से आए कलाकारों ने प्रस्तुत किए भावपूर्ण लोकनृत्य
एकटंकिया म्यूजिक स्कूल पदमपुर की आदिवासी बच्चियों और कलाकारों ने जीता दर्शकों का दिल
आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पुस्तक मेले के पांचवें दिन सजी लोकनृत्य संध्या
रायबरेली।भगवान राम की पावन धरा अवध में माता कौशल्या के कोसल प्रदेश (पश्चिम ओड़िशा) से आई बच्चियों और कलाकारों के बेटी के जन्म से लेकर विदाई से जुड़े लोकनृत्य की मोहक प्रस्तुति से सतरंगी छटा छा गई।प्रस्तुति से कलाकार भावों में डूब कर रोने लगे और उनको देखकर दर्शकों की आंखों से भी अश्रुधार फूट पड़ी।यह दृश्य देखकर माहौल थोड़ी देर गमगीन भी हो गया।आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी पुस्तक मेले के पांचवें दिन लोकनृत्यों की पुस्तक मेले में लोकनृत्य संध्या के लिए पदमपुर -संबलपुर (पश्चिम ओडिशा) में लुप्त हो रही लोककला,लोकनृत्य और लोकगीतों को संजोने का काम कर रहे एकटंकिया म्यूजिक स्कूल के बच्चों और कलाकारों को आमंत्रित किया गया था।स्कूल संचालक,रिसर्चर एवं संगीतज्ञ सुरेंद्र साहू एवं मंजुला बिस्वाल के नेतृत्व में 1200 किलोमीटर दूर से आई इस टीम में शीतल साहू,उत्पला साहू,शिवानी मेहर,लिपि शिखा,अलीशा पावर,मीना बाग,रसूल कुंभार,आशीष कुमार कंधेर,नबिन बांचोर,हराधान कुंभर,सभ्य सिंह बरिहा शामिल थे।पश्चिम ओड़िशा में जन-जन में पूज्य समलेश्वरी माता की वंदना के साथ शुरू हुई लोक नृत्य संध्या में मीना बाग ने भजन गाया और कलाकारों ने वाद्ययंत्रों पर साथ दिया।इसके बाद कलाकारों ने बेटी के जन्म की खुशी से लेकर विदाई के बिछोह तक की भावपूर्ण प्रस्तुति दी।बच्चियां और कलाकार विदाई के इस भाव में इतना डूब गए कि वास्तव में रोने लगे।इस दृश्य को देखकर दर्शक समुदाय भी रोने से अपने को रोक नहीं पाया।इससे माहौल थोड़ी देर गमगीन और गंभीर भी हो गया लेकिन कुछ देर बाद ही संयत हुए कलाकारों और बच्चियों ने नोवाखाई (नई फसल घर आने की खुशी) पर लोकनृत्य प्रस्तुत करके सभी का दिल जीत लिया।इसके बाद फिर भजन पर लोक नृत्य की प्रस्तुति ने सभी को मोहित कर लिया।तीन घंटे तक चली लोकनृत्य संध्या का समापन सामूहिक नृत्य के साथ हुआ।मीना बाग द्वारा गाए गए गीत पर श्रोता दर्शन और कलाकार सब साथ में काफी देर झूमते-गाते रहे।शाम 6 लोक नृत्य संध्या की शुरुआत कार्यक्रम प्रभारी सुधीर द्विवेदी के स्वागत और संयोजक गौरव अवस्थी द्वारा प्रस्तुत रूपरेखा के साथ हुई।संचालन शशिकांत अवस्थी ने किया।
ओड़िशा के कलाकारों का हुआ सम्मान
पश्चिम ओड़िशा से आए लोक कलाकारों को संस्था की ओर से सम्मानित भी किया गया।सिमहैंस हॉस्पिटल की एमडी डॉ ओमिका चौहान,विमुक्ति सिंह,दादा जेपी त्रिपाठी,सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राकेश तिवारी,महामंत्री योगेंद्र दीक्षित,कांग्रेस नेता प्रमोद त्रिपाठी,लक्ष्मीकांत शुक्ला,विनोद कुमार शुक्ला,योगेश मिश्रा,वीरेंद्र विक्रम सिंह,सभासद एसपी सिंह,नेहा अवस्थी,प्रिया पांडेय,डाॅ नीलांशु अग्रवाल,अनुराग पांडेय,देव कुमार मिश्रा,स्वतंत्र पांडेय,अजय बाजपेई ने सभी कलाकारों को मोमेंटो एवं बुके देखकर स्वागत किया।
ओड़िशा की आदिवासी जनजातीय संस्कृति सबसे प्राचीन
नई दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह और वरिष्ठ लेखिका कुसुमलता सिंह ने ओड़िशा की लोक कला और लोक संस्कृति और लोक नृत्य की विशेषताओं से अवगत कराते हुए आचार्य द्विवेदी न्यास द्वारा पुस्तक मेले और मेले में विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन की सराहना की।दोनों अतिथि वक्ताओं ने कहा कि उड़ीसा सबसे पुराना आदिवासी क्षेत्र है।यहीं से आदिवासी निकलकर छत्तीसगढ़,मध्य प्रदेश,राजस्थान व झारखंड में बसे।वहां की आदिवासी और जनजातीय संस्कृति बहुत समृद्ध है।केवल नृत्य ही नहीं वहां की कला भी महत्वपूर्ण है।आचार्य द्विवेदी न्यास की यह संस्कृत मेल मिलाप की पहल बहुत ही अनुकरणीय है।अन्य जनपद और प्रदेश के लोगों को भी ऐसे ही प्रयास करने चाहिए।
