
पात्र सूची से नाम काटने पर पीड़ित ने प्रशासन से लगाई गुहार
पीड़ित ने लगाया आरोप- लाभ देने के लिए मांगे जा रहे पैसे
शिवपुर/बहराइच – विकास खंड क्षेत्र शिवपुर में पात्र लोगों को आवास का लाभ नहीं मिल रहा है। आरनवा गांव के रहने वाले विशाल श्रीवास्तव ने आवास दिलाए जाने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना में आवास हेतु उन्होंने 2019 में उन्होंने ऑनलाइन आवेदन किया था। ग्राम प्रधान ने पात्र होने के कारण उनके नाम की संस्तुति करते हुए प्रमाणित भी किया था।सूची में क्रमांक संख्या 519 थी जो जांच के उपरांत पात्र पाई गई और उनका नाम क्रमांक 82 नम्बर पर था मगर रजिस्ट्रेशन में उनका नाम छोड़ दिया गया है जबकि वह पूरी तरह से पात्र हैं और उनका नाम भी सूची में शामिल था। जब आवास सैंक्शन होने का समय आया तो फाइनल लिस्ट से पंचायत सेक्रेट्ररी राजेन्द्र कुशवाहा ने नाम ही काट दिया जब हमने सेक्रेटरी से पूछा तो वो सही से जवाब भी नही दे रहे हैं, और न ही मिलने के लिए तैयार हैं।तकनीकी समस्या का हवाला देकर बात करने से मुकर रहे हैं। ग्राम प्रधान द्वारा लिखित में दिए जाने के पश्चात् भी पंचायत सेक्रटरी द्वारा काम नहीं किया जा रहा है।
आरोप है कि पंचायत सेक्रेटरी
राजेन्द्र कुशवाहा आवास देने के नाम पर पैसे की मांग कर रहे हैं।
अपात्रों को साठगांठ के बल पर आवास का लाभ दिया जा रहा है, जबकि पात्र आज भी कच्चे मकानों व झोपड़ी में रहने को मजबूर हैं। विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि कच्चे घर में बिना खिड़की-दरवाजे के छप्परनुमा झोपड़ी में रहने को मजबूर हूं। अधिकारियों से लेकर

जनप्रतिनिधियों को गरीबों का हाल दिखाई नहीं दे रहा है पर पात्र होने के बावजूद आवास का लाभ नहीं दिया जा रहा है। बड़ी मुश्किल से टीनशेड लगवा पाए हैं। रात को हवा से बचने के लिए पन्नी का सहारा लेना पड़ता है। कच्चे मकान में परिवार के साथ किसी तरह गुजर बसर कर रहे हैं। आवास योजना के बाद भी आवास का लाभ नहीं मिल रहा है, जबकि गरीबों को मिलने वाला प्रधानमंत्री आवास अपात्रों को दिया जा रहा है। हम जैसे गरीब योजना से वंचित हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हर गरीब को घर देने की घोषणा के बाद लगा कि अब हमें भी पक्की छत नसीब हो जाएगी। लेकिन, विभाग की भ्रष्ट कार्यशैली से पात्रों को आवास का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
विशाल श्रीवास्तव ने बताया कि बारिश होने पर गांव के ही अन्य घरों में समय बिताना पड़ता है।
जर्जर मकान के गिरने के खतरे को देखते हुए वह पड़ोस में अपनी रातें काट रहे हैं। रात में बारिश होने पर पूरे घर में पानी आ जाता है हादसे की आशंका में रात भर जागना पड़ता है।बताया जा रहा है कि जर्जर मकान की छत कभी भी गिर सकती है. क्योंकि मकान के पीछे का डंगा भी गिर चुका है।
जर्जर कच्चे मकान में कभी भी कोई भी हादसा हो सकता है जिससे जान-माल का नुकसान हो सकता है पर प्रशासन फिर भी आँख मूँदे हुए है।