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लखनऊ। निआसरों के आसरे, निमानियों के मान, नितानियों के तान सिखों के तीसरे गुरु साहिब श्री गुरु अमरदास जी महाराज के प्रकाश पर्व (प्रकाशोत्सव) दिनाँक 04.05.2023 को श्री गुरू सिंह सभा, ऐतिहासिक गुरुद्वारा श्री गुरु नानक देव जी नाका हिंडोला लखनऊ में बड़ी श्रद्धा एवं सत्कार के साथ मनाया गया। शाम का दीवान 6.30 बजे श्री रहिरास साहिब के पाठ से आरम्भ हुआ जो रात्रि 9.30 बजे तक चला। जिसमें हजूरी रागी जत्था भाई राजिन्दर सिंह जी ने अपनी मधुरवाणी में शबद कीर्तनः- भले अमरदास गुण तेरे, तेरी उपमा तोहे बन आवै। गायन एवं नाम सिमरन करवाया। ज्ञानी सुखदेव सिंह जी ने श्री गुरु अमरदास जी के जीवन पर प्रकाश
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डालते हुए बताया कि गुरू जी का जन्म अमृतसर में हुआ था। आपके पिता जी का नाम श्री तेजभान जी व माता जी का नाम सुलखणी जी था। आप का जीवन बड़ा महान था, कहते है कि जब तक मनुष्य को मन की शान्ति तब तक मनुष्य इधर-उधर भटकता रहता है। इनका जीवन भी कुछ ऐसा ही था गुरु बनने से पहले आप जी ने कई बार तीर्थाे की यात्रा की, पर मन को शान्ति न मिल सकी। एक बार अपने ही घर मे ही गुरु अंगद देव जी की सपुत्री बीबी अमरो जी से गुरु जी की बाणी सुनीे और गद्गद हो गये, पूछने पर पता चला कि यह श्री गुरु नानक देव जी की बाणी है,उनकी गद्दी पर श्री गुरु अंगद देव जी बैठे हुए हैं। आपने खडूर साहिब में आकर गुरु जी के दर्शन कर निहाल हुए, तभी से श्री गुरु अंगद देव जी की सेवा में जुट गये उस समय आपकी उम्र 62 वर्ष की थी इतनी उम्र मे आधी रात को उठकर ब्यास दरिया से पानी का कलश लाकर रोज गुरु जी कोे स्नान कराते थे और दिन रात उनकी सेवा मे जुटे रहते थे 72 वर्ष की आयु मे सेवा करते देखकर श्री गुरु अंगद देव जी ने आपको गुरु गद्दी सौंप दी और ये निआसरों के आसरे, निमानियों के मान, नितानियों के तान श्री गुरु अमरदास जी बन गये। इस अवसर पर रागी जत्था भाई सुखप्रीत सिंह लखनऊ वालों ने “ऐ मन पिआरिआ तू सदा सच समाले” गायन कर संगत को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम का संचालन सतपाल सिंह मीत ने किया। दीवान की समाप्ति के उपरान्त ऐतिहासिक गुरूद्वारा श्री गुरू नानक देव जी, श्री गुरू सिंह सभा, नाका हिंडोला,लखनऊ के अध्यक्ष स0 राजेन्द्र सिंह बग्गा ने समूह संगत को साहिब श्री गुरु अमरदास जी महाराज के प्रकाश पर्व (प्रकाशोत्सव) की बधाई दी उसके पश्वात् गुरु का लंगर वितरित किया गया। महामंत्री हरमिन्दर सिंह की देखरेख में लंगर वितरण करने के सेवा दशमेश सेवा सोसाइटी के सदस्यों द्वारा की गई।