शेरकोट/हरेवली। नागरपुर खड़क सैन निवासी त्रिलोक सिंह ने आरोप लगाया है की बिजनौर पुलिस ने मानवाधिकार आयोग को आरोपियों से हमसाज़ होकर झूठी आख्या पेश की है। जब कि पुष्पेंद्र व अन्य सभी लोगो का उक्त मामले से कोई लेना देना नही है। दिनांक 23/05/2024 में हुई घटना के संबंध मे तत्कालीन रहें पुलिस अधीक्षक नीरज को कार्रवाई दिये प्रार्थना पत्र में जांच के उपरांत घटना के समय मौके पर उपस्थित सभी लोगो ने शेरकोट थाने पर स्थानीय पुलिस,पुलिस क्षेत्रीय अधिकारी,पुलिस अधीक्षक (पुर्वी) धामपुर के समक्ष पेश होकर अपने बयान कलमबंद करा दिए थे। लेकिन स्थानीय बिजनौर पुलिस नें सच्चाई एंव मौके पर मौजूद लोगो के वयानों को छुपाकर आयोग के समक्ष आख्या पेश की है।वही त्रिलोक सिंह ने 12/12/ 2024 को मानवाधिकार आयोग लखनऊ के समक्ष पेश होकर अपना पक्ष व सभी साक्ष्य प्रस्तुत किये हैअब देखना ये है कि मानवाधिकार आयोग इस मामले मे क्या निर्णय लेता है। त्रिलोक सिंह ने आयोग से घटना के समय मौके पर मौजूद पुष्पेंद्र, व अन्य लोगो के दर्ज बयानों की एक प्रति उपलब्ध करवाने की भी अपील की है।ताकी सच्चाई का पता लग सकें और ताकि दूध का दूध पानी का पानी हो जाये।अब देखना ये है कि पुलिस और त्रिलोक सिंह की इस न्याय की लड़ाई में ऊँठ किस करवट बैठता हैज्ञात हो कि 23/10/2024 को त्रिलोक सिंह ने राष्ट्रपति से इच्छा मृतु की मांग की थी जो कि सभी प्रमुख समाचार पत्रों ने प्रमुखता से प्रकाशित किया था जिस का संज्ञान लेकर बंगलोर निवासी मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ तारिक ज़की ने आयोग को प्रार्थना पत्र भेज मामले को संज्ञान में लेने की अपील की थी। जिस को आयोग ने संज्ञान में लेते हुए पुलिस अधीक्षक बिजनौर को नोटिस जारी कर मामले की जांच कर रिपोर्ट भेज ने के आदेश दिए थे जिस पर नोडल अधिकारी मानवाधिकार बिजनौर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण रामअर्ज ने सीओ अफजलगढ़ से जांच कर आख्या मांगी थी। जो पुलिस अधीक्षक ने आयोग को भेज दी थी जिस पर आयोग ने त्रिलोक सिंह को नोटिस भेजकर 12 / 12/ 2024 को 12:30 पर आयोग के समक्ष सभी साक्ष्यों के साथ पेश होने का नोटिस जारी किया था