
निगोहां । निगोहां का बीरसिंह पुर एक ऐसा गांव है।जहाँ पर पूरे गांव की आबादी के घरों का पानी एक ही जगह पर आकर एकत्र होकर बांक नाले में जाता है।जिसके बाद यही पानी किसानों के खेतों की फसल पैदावार में भी काम आता है।यही वजह है कि भीषण गर्मी और सूखे भरे हालातो में भी इसी पानी से जानवरो की प्यास बुझती है।
विकासखंड मोहनलालगंज के बीरसिंह पुर गांव के तीन मजरों में लगभग 4 हजार लोगों की आबादी है। जिसमे लगभग 600 घर है।यह गांव बसपा सरकार में सन 2005-06 में इसे आदर्श ग्राम घोषित किया गया था। किंतु सत्ता खत्म होते ही आदर्श ग्राम भी खत्म कर दिया गया। ग्राम पंचायत बीरसिंह पुर व इसके मजरे चंदीखेड़ा, व रंजीत खेडा के सभी घरों का नहाने, से लेकर कई तरह के कामो में इस्तेमाल हो रहे पानी इखट्टा होकर गांव किनारे बांक नाले के पास एक जगह एकत्रित होता है जो बांक नाले से जाकर किसानों और जानवरों के पीने के काम मे आ रहा है।
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि मुरलीधर ने बताया कि गांव व घरों से निकला हुआ पानी उनके गांव व आसपास के किसानों के काम आ रहा है। जानवरों को पीने के भी काम आ रहा है इस्तेमाल हुआ पानी बर्बाद नही होता और इस पानी से किसान अपनी फसलें उगा रहा है। इसके अलावां उनके गांव का वाटर लेवर भी बना रहता है जहां 30 से 35 फिट पर ही पानी उपलब्ध हो जाता। उनके गांव में कोई भी तालाब नही है। सन 2005- 06 में उनका गांव लखनऊ जिले का इकलौता गांव था जो आदर्श ग्राम में घोषित हुआ था।
घरों का इस्तिमाल पानी गांव की नालियों से बहकर एक बड़े नाले में जाता है और उस नाले का पानी गांव के पास से गुजरे बांक नाले में इखट्टा होता है।
गांव के रहने वाले किसान रामचन्द्र, रामचरन,
रामआसरे, भोला, सरवन, की माने तो वह अपने गांव के पानी से खेती कर रहे है न ही किसी बोरवेर की जरूरत है न ही किराए के पानी की गांव और घरों से जा पानी बर्बाद न होकर उनके काम आ रहा है शायद ही जिले भर में ऐसा यह पहला गांव है जिसमे घरों और गांव से इस्तेमाल हुआ पानी उनकी फसल उगा रहा है।