
निगोहां।किसी कवि द्वारा कही गयी कहावत “जितने का ढोल नही, उतने का मंजीरा” क्षेत्रीय किसानों पर बिल्कुल सटीक बैठ रही हैं। निगोहां इलाके के राजकुमार इन दिनों काफी परेशान है। उनकी परेशानी गर्मी की उमस नही,बल्कि खेतों में पहुँच रहे पानी मे लगने वाली “जीन पाइप” का भाड़ा है। क्योंकि सिंचाई से महंगा पाइप का किराया है। यह परेशानी अकेले इन्हीं की नहीं है बल्कि हजारों की संख्या में किसानों की है, जिसका मुख्य कारण है कि खेतों से नालियां गायब हो गई हैं, नहरों का जाल तो जरूर बिछा है लेकिन सिंचाई के लिए किसानों को पानी समय पर कभी नहीं मिलता है। सिंचाई का सीमित साधन सिर्फ राजकीय नलकूप है। खेती का रकबा अधिक होने के कारण सूचीबद्ध तरीके से किसानों को पानी उपलब्ध करने का प्राविधान है। तमाम मझिले और छोटे काश्तकार ऐसे हैं, जब तक उनका नंबर पानी के लिए लगेगा, तब तक धान की फसल कटने की पोजीशन पर होगी। लिहाजा, ऐसे किसान किराए के ट्यूबवेल से धान की रोपाई करना उचित समझते हैं।
अब किराए के ट्यूबवेल से किसानों के सामने बड़ी समस्या यह आ जाती है कि खेत तक पानी वह कैसे पहुंचाएं ? ऐसे में किराए की पाइप जो बाजार में आसानी से उपलब्ध होती है वह लेते हैं, जिसमें ट्यूबवेल के किराए से ज्यादा पाइप का भाड़ा पड़ जाता है।
ऐसे मिल सकती है कुछ राहत:-
सिंचाई विभाग की तरफ से अगर माइनरो,कुलाबों को साफ कर दे तो आसानी के साथ किसानों को पानी मिल जाये। ये मांग भी किसान लम्बे अर्से से करते चले आ रहे है किंतु कोई भी जिम्मेदार किसानों की इस समस्या की तरफ ध्यान नही देने वाला है।