निगोहां।उतरावा गांव में चल रही श्रीराम कथा के दूसरे दिन कथा ब्यास आचार्य ज्ञानेश त्रिपाठी जी कहा कि,अपना प्रभाव भूलकर, भाव के द्वारा राम कथा का रसपान करना चाहिए, उन्होंने सती प्रसंग का पावन वर्णन किया, भगवान शिव जी भाव में डूबे हैं,और भाव मे ही देवता निवास करते हैं l भगवान शिव कुंभज ऋषि के आश्रम में गए, भगवान शंकर तो समुद्र है,( कृपा सिंधु सिव परम अगाधा,) समुद्र कथा सुनने घड़े के बेटे के पास जा रहे हैं,मगर शिव जी ने कहा इसमें कुंभज की ही महिमा है , क्योंकि राम कथा का समुद्र घट मे ही समा सकता हैं, सती प्रसंग में सती जी के त्याग का वर्णन किया, लेकिन अद्भुत त्याग है यह, भगवान शंकर का त्याग आचरण में है,उच्चारण में नही,त्याग मन से होता है,जिसका त्याग किया उससे द्वेष भी नहीं l आगे शिव विवाह की कथा सुनाई , कार्य भला और बुरा,इसका निर्णय तो प्रेरणा से होता है l प्रेरणा किसकी है श्रीराम की ,या काम की भगवान शिव का विवाह अलौकिक है, रामकथा में चार विवाह है, जिसमें दो पूर्ण ,दो अपूर्ण, शिव जी का तथा श्री राम जी का विवाह पूर्ण है l नारद जी और शूर्पणखा का विवाह अपूर्ण है l कथा ब्यास आचार्य ज्ञानेश त्रिपाठी जी ने मानस के अनेक जीवन उपयोगी प्रसंगों का रस पान कराया वही, मुस्लिम समाज के लोग भी बढ़ चढ़ के ले रहे है हिस्सा।
