लालगंज/रायबरेली – जिले के प्रतिष्ठित, शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी,नैक द्वारा प्रत्यायित ग्रेड – बी बैसवारा पी .जी. कॉलेज के समाजशास्त्र विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ .रमेश चंद्र यादव ने डॉ. राम मनोहर लोहिया, शोधपीठ, समाजशास्त्र विभाग,लखनऊ विश्वविद्यालय लखनऊ द्वारा “इंटरसेक्शनैलिटी ऑफ़ लैंग्वेज, कल्चर एंड रीजन इन साउथ एशिया” विषयक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में “सिंबल्स इन इंडियन कल्चर : ए ग्लोबल पर्सपेक्टिव” विषय पर एक गंभीर अध्ययन प्रस्तुत किया ।
डॉ .यादव ने दिनांक 11 से 13 अक्टूबर 2025 के मध्य आयोजित अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में अपने शोध पत्र में बताया कि इंटरसेक्शनैलिटी की शुरुआत की जड़ें महिला आंदोलन में विशेष रूप से किंबरले विलियम क्रेंशा एवं पेट्रिशिया कॉलिंस को जाता है। बहुत से फेमिनिस्ट समाजशास्त्री, वर्ग के साथ जेंडर की आवश्यकता पर बल देते हैं।
डॉ. यादव ने आगे बताया कि स्वास्तिक भारतीय संस्कृति का सबसे प्रसिद्ध, प्रतीक ग्लोबलाइजेशन युग के पहले ही वैश्विक था । समाजशास्त्री दुनिया को बदल सकते हैं किंतु दुनिया को बदलने से पहले परिवर्तन को गहराई से समझना होगा। एशिया क्षेत्र में संस्कृति सह -निर्भरता के बजाय संस्कृति – सहयोग पर बल देना चाहिए। जिसे स्रोत वक्ता, सत्र अध्यक्ष एवं प्रतिभागियों द्वारा विशेष रूप से डॉ. यादव के शोध पत्र की सराहना की गयी। साथ ही साथ अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के तीसरे दिन डॉ. यादव ने प्रथम तकनीकी-सत्र की सह -अध्यक्षता भी की।
महाविद्यालय के प्राचार्य, प्रोफेसर निरंजन राय एवं समस्त शिक्षकों ने डॉ. यादव को इस उपलब्धि पर उन्हें बधाई दी एवं हर्ष भी व्यक्त किया। प्रबंधक लाल देवेंद्र बहादुर सिंह ने बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि महाविद्यालय के शिक्षक की अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी में सहभागिता से निश्चित रूप से महाविद्यालय का ही नहीं बल्कि जनपद,प्रदेश एवं देश का गौरव बढ़ता है।
