रायबरेली – विश्व प्रतिजैविक प्रतिरोध (AMR) जागरूकता सप्ताह 2025 के अवसर पर AIIMS रायबरेली में मेडिकल कॉलेज परिसर में “Building the Foundation of Antimicrobial Stewardship: From Awareness to Action” विषय पर सतत चिकित्सीय शिक्षण (CME) आयोजित की गई। एम्स की कार्यकारी निदेशक एवं सीईओ प्रो. (डॉ.) अमिता जैन इस आयोजन की मुख्य संरक्षक तथा प्रो. (डॉ.) नीरज कुमारी और प्रो. (डॉ.) अर्चना वर्मा सहसंरक्षक रहीं। प्रो. (डॉ.) प्रगति गर्ग ने आयोजन अध्यक्ष और डॉ शेफाली गुप्ता ने आयोजन सचिव का दायित्व निभाया।
डॉ. स्वेता सिंह, डॉ. सना इस्लाही, डॉ. कलीचरण दास और डॉ. प्रमोद कुमार सहित विशेषज्ञों ने बढ़ते एंटीबायोटिक प्रतिरोध, सही नमूना संग्रह, ICU में चुनौतियाँ और MDR/XDR जैसे “सुपरबग” पर चर्चा की। संस्थान के 2025 एंटिबायोग्राम का प्रयोग करते हुए अपर चिकित्सा अधीक्षक डॉ नीरज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि कुछ सामान्य प्रतिजैविक दवाओं का असर अब खास नहीं रहा,+ उनका सावधानी से उपयोग किया जाना जरूरी है।
जनता के लिए मुख्य संदेश:
बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक न लें।
पुरानी बची हुई दवाएँ दोबारा न लें, न दूसरों को दें।
लिखी गई पूरी दवा और पूरे कोर्स का सेवन करें।
साधारण सर्दीखांसी या वायरल बुखार में एंटीबायोटिक की ज़िद न करें।
हाथों की सफाई और टीकाकरण से संक्रमण से बचें।
एम्स रायबरेली ने विश्व AMR सप्ताह की थीम “अभी कार्यवाही करें: वर्तमान की रक्षा करें, भविष्य को संरक्षित करें ; Act Now: Protect Our Present, Secure Our Future” को जनजन तक पहुँचाने का संकल्प दोहराया।
