
जिला अस्पताल के सीएमएस पर समय से सेवानिवृत्त कर्मियों को देयकों का भुगतान न करने, कर्मचारियों से वसूली करने, अधीनस्थों पर शिथिल नियंत्रण होने, कर्मचारियों से अमर्यादित भाषा में बात करने के साथ ही शासकीय कार्यों व पदीय दायित्वों का निर्वहन न करने सहित कई आरोप लगे हैं। सीडीओ अर्पित उपाध्याय द्वारा निरीक्षण करने के बाद सीएमएस ने मनमाने तरीके से जवाब भेजा था। आरोप है कि आयुष्मान कार्डधारकों को डायलिसिस के बाद मिलने वाली दवा को बंद करके परेशान किया गया। डीएम के हस्तक्षेप के बाद आयुष्मान कार्डधारकों को दवाएं मिलनी शुरू हुई थीं।
बताते हैं कि सीएमएस के कारनामों को रखते हुए डीएम ने शासन को पत्र भेजकर कार्रवाई के लिए पत्राचार किया था। इसके बाद राज्यपाल ने सीएमएस के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच के लिए स्वीकृति दे दी। निदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं को यह जांच सौंपी गई है। सीएमएस डॉ. प्रदीप अग्रवाल का कहना है कि सारे आरोप बेबुनियाद हैं।
हटाए जाने के बाद भी कुर्सी पर जमे सीएमएस
सीएमएस डॉ. प्रदीप अग्रवाल को गत आठ मई को आदेश जारी कर पद से हटा दिया गया। उन्हें बरेली स्थित महाराणा प्रताप जिला संयुक्त कार्यालय में वरिष्ठ परामर्शदाता के पद पर तैनाती दी गई है। बावजूद इसके भी सीएमएस अपनी कुर्सी पर जमे रहे। ऐसी स्थिति में दस्तावेजों में हेरफेर करने की आशंका है।