अमेठी।* जिला कृषि रक्षा अधिकारी डॉ0 राजेश कुमार ने बताया कि चूहा फसलों के अलावा घर में अनाज भण्डारण में भी काफी नुकसान पहुंचातें है। संचारी रोगों के प्रसार के लिए अन्य कारकों के साथ-साथ चूहा एवं छछूंदर भी उत्तरदायी है, जिसके दृष्टिगत अभियान में कृतंक नियत्रंण की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। इसलिए इन रोगों के रोकथाम के लिए चूहे एंव छछूंदर का प्रभावी नियंत्रण आवश्यक है। इस क्रम में उन्होंने बताया कि निम्न सुझाव एंव संस्तुतियों को अपनाकर चूहा का नियंत्रण या बचाव सुनिश्चित कर सकते है, चूहे मुख्य रूप से 2 प्रकार के होते हैं- घरेलू एंव खेत के चूहे। घरेलू चूहा घर में पाया जाता है जिसे चुहिया या मूषक कहा जाता हैं। खेत के चूहों में फील्ड रैट, सापट फर्ड फील्ड रैट एंव फील्ड माउस प्रमुख हैं। इसके अतिरिक्त भूरा चूहा खेत व घर दोनों जगह पाया जाता है, जंगली चूहा जंगलों, रेगिस्तानों निर्जन स्थानों झाड़ियों में पाया जाता है। उन्होंने बताया कि चूहों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए अन्न भण्डारण पक्का, कंक्रीट तथा धातु से बने पात्रों में करना चाहिए ताकि उनको भोज्य पदार्थ सुगमता से उपलब्ध न हो सकें, चूहा अपना बिल, झाड़ियों, कूड़ों एवं मेड़ों आदि में स्थायी रूप से बनाते है। खेतों का समय-समय पर निरीक्षण एंव साफ सफाई करके इनकी संख्या को नियंत्रित किया जा सकता है, चूहों के प्राकृतिक शत्रुओं बिल्ली, सॉप, उल्लू, लोमड़ी, बाज एंव चमगादड़ आदि द्वारा चूहों को भोजन के रूप में प्रयोग किया जाता है व इनको संरक्षण देने से चूहों की संख्या नियंत्रित हो सकती है, चूहेदानी का प्रयोग करके उसमें आकर्षक चारा जैसे-रोटी, डबलरोटी, बिस्कुट आदि रखकर चूहों को फसा कर मार देने से इनकी संख्या नियंत्रित की जा सकती हैं, घरों में ब्रोमोडियोलान 0.005 प्रतिशत के बने चारे की 10 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिन्दा बिल अथवा उपयुक्त स्थान में रखने से चूहे खा कर मर जाते है, जिंक फारफाइड 80 प्रतिशत की 1.0 ग्राम मात्रा को 1.0 ग्राम सरसों का तेल एवं 48.0 ग्राम भुने दाने में बनाये गये चारे को बिल उपयुक्त स्थान में रखें, एल्युमिनियम फास्फाइड दवा की 3-4 ग्राम मात्रा प्रति जिन्दा बिल में डालकर बिल बन्द कर देने से उससे निकलने वाली फारफीन गैस से चूहे मर जाते हैं। उन्होंने बताया कि चूहा बहुत चालाक प्राणी है जिसे छः दिवसीय योजना बनाकर इनको आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है जिसके तहत प्रथम दिन आवासीय घरों एंव आस-पास के क्षेत्रों का निरीक्षण एवं बिलों को बन्द करते हुए चिन्हित करें। दूसरे दिन निरीक्षण कर जो बिल बन्द हो वहाँ चिन्हे मिटा दें व जहाँ पर बिल खुले पायें वहाँ चिन्ह रहने दें तथा खुले बिल में एक भाग सरसों का तेल एव 48 भाग भुने दाने का चारा बिना जहर मिलाये बिल में रखें। तीसरे दिन बिलों का निरीक्षण कर बिना जहर का चारा पुनः रखें। चौथे दिन जिंक फास्फाइड 80 प्रतिशत की 1.0 ग्राम मात्रा को 10 ग्राम सरसों का तेल एवं 48.0 ग्राम भुने दाने में बनाये गये चारे को बिल में रखें। पांचवें दिन बिलों का निरीक्षण करें एवं मरे हुये चूहों को एकत्र कर जमीन में गाड़ दें एवं छठे दिन बिलों को पुनः बन्द करें तथा अगले दिन यदि बिल खुले पाये जाये तो उपरोक्त कार्यकम पुनः अपनायें। उन्होंने बताया कि चूहा नियन्त्रण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियों के लिए चूहा नियन्त्रण रसायनों का प्रयोग करते समय हाथ में दस्तानें पहनें, रसायनों को बच्चों से दूर रखें, मरे हुए चूहों को सावधानीपूर्वक घर से बाहर मिट्टी में दबा दें, दवा के प्रयोग के दौरान घर में रखी खाद्य सामाग्री इत्यादि को अच्छी तरह से ढक दें।
