
निगोहां। लखनऊ,निगोहां क्षेत्र के उतरावां गाँव स्थित बाबा जगन्नाथ दास कुटी के हनुमान मंदिर में नौ दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन भक्तिमय वातावरण में निरंतर जारी है। कथा के पाँचवें दिन मंगलवार को व्यासपीठ से आचार्य ज्ञानेश त्रिपाठी ने रामकथा का ऐसा रसपान कराया कि उपस्थित श्रद्धालु भाव-विभोर होकर जय श्रीराम के उद्घोष में डूब गए।आचार्य त्रिपाठी ने अपने प्रवचन में कहा कि जब तक जीवन में दास भाव नहीं आता, तब तक जीव को राम रूपी ब्रह्म की प्राप्ति संभव नहीं है। बिना त्याग के किसी को भी कुछ हासिल नहीं होता।उन्होंने समझाया कि भगवान श्रीराम का जीवन त्याग, मर्यादा और सेवा का प्रतीक है।कथा के दौरान उन्होंने महाराज दशरथ और महर्षि विश्वामित्र के बीच हुए संवाद का उल्लेख करते हुए बताया कि विश्वामित्र जी परीक्षक महर्षि माने जाते हैं। उन्होंने पहले राजा हरिश्चंद्र के सत्य की परीक्षा ली थी और अब दशरथ जी के प्रेम की परीक्षा लेने राजमहल पहुँचे।आचार्य ने कहा कि दशरथ जी पहले तो विचलित हुए, किंतु अंततः उन्हें अपने पुत्र श्रीराम और लक्ष्मण को विश्वामित्र के साथ भेजना पड़ा।आचार्य ने आगे श्रीराम और लक्ष्मण के साथ ताड़का वध के प्रसंग का वर्णन किया और बताया कि किस प्रकार श्रीराम ने यज्ञ की रक्षा के लिए राक्षसी का संहार किया।अहिल्या उद्धार प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि जिसे समाज देखना नहीं चाहता, उसी पर भगवान अपनी करुणा दृष्टि डालते हैं।भगवान श्रीराम ने अपने चरण स्पर्श से पत्थर बनी अहिल्या को जीवनदान देकर यह सिद्ध किया कि ईश्वर हर उस आत्मा का उद्धार करते हैं जो मन से शरणागत हो।कथा के दौरान पूरा मंदिर प्रांगण जय श्रीराम के जयकारों और संकीर्तन से गुंजायमान हो उठा। गाँव के सैकड़ों श्रद्धालु कथा श्रवण कर भक्ति भाव में सराबोर हो गए। महिलाओं ने रामधुन गाकर वातावरण को और भी मंगलमय बना दिया।कथा का आयोजन गौसेवक शैलेंद्र सिंह चौहान के सहयोग से किया जा रहा है। संपूर्ण संचालन एवं व्यवस्था की जिम्मेदारी प्रेस क्लब निगोहां के अध्यक्ष विमल सिंह चौहान निभा रहे हैं।