
मुख्यमंत्री पोर्टल, जिलाधिकारी व बीएसए से लगाई गुहार, बच्चों की रुकी पढ़ाई…….
निगोहां।लखनऊ, विकास खंड मोहनलालगंज के मदारीखेड़ा गांव के ग्रामीणों ने अपने बच्चों की शिक्षा बचाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। गांव के प्राइमरी विद्यालय को भावाखेड़ा गांव के जूनियर विद्यालय में मर्ज किए जाने के बाद से छोटे-छोटे बच्चों की पढ़ाई बाधित हो गई है। इसे लेकर दर्जनों ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत करने के साथ ही जिलाधिकारी और बीएसए को पत्र भेजकर गांव में ही स्कूल वापस लाने की मांग की है।ग्रामीण अजय कुमार, माता प्रसाद, सुनील, अनिल, फिरोज, तस्लीमुन, अजमत समेत दर्जनों लोगों ने कहा कि पहले गांव में ही प्राइमरी विद्यालय था, जहां बच्चों की पढ़ाई सुचारु रूप से चल रही थी। लेकिन विद्यालय को गांव से लगभग ढाई से तीन किलोमीटर दूर भावाखेड़ा गांव के जूनियर विद्यालय में जोड़ दिया गया।
भावाखेड़ा का रास्ता जंगलों से होकर गुजरता है। वहां बड़े-बड़े वाहन, खासकर डंपर, तेज रफ्तार से दौड़ते रहते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इस मार्ग पर पहले कई हादसे हो चुके हैं, यहां तक कि गांव का एक युवक डंपर की चपेट में आकर अपनी जान गंवा चुका है। ऐसे खतरनाक रास्ते से छोटे बच्चों का रोज़ाना आना-जाना संभव नहीं है।ग्रामीणों का कहना है कि दूरी और डर के चलते अब अधिकांश बच्चों की पढ़ाई रुक गई है। बच्चे न तो गांव से बाहर जा पा रहे हैं और न ही नियमित रूप से पढ़ाई कर पा रहे हैं। कई अभिभावकों ने चिंता जताई कि अगर यही स्थिति रही तो बच्चों का भविष्य अंधकार में चला जाएगा।मदारीखेड़ा गांव के अजय और उनकी पत्नी दोनों पैरों से विकलांग हैं। उनका कहना है कि उनके दो बच्चे पहले गांव के स्कूल में पढ़ते थे, लेकिन भावाखेड़ा भेजे जाने के बाद से दोनों बच्चे स्कूल जाना बंद कर चुके हैं।अजय कुमार ने बताया।हम दोनों विकलांग हैं। बच्चों को रोज़ाना इतनी दूर भेजना हमारे लिए संभव नहीं है। गांव में स्कूल होता तो वे खुद पैदल चले जाते, लेकिन अब उनके पढ़ाई का पूरा नुकसान हो रहा है।ग्रामीणों ने साफ कहा है कि जब तक गांव का प्राइमरी विद्यालय वापस नहीं खोला जाएगा, बच्चों की शिक्षा पूरी तरह ठप रहेगी। उन्होंने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप कर मदारीखेड़ा गांव में पुनः प्राइमरी विद्यालय संचालित कराने की मांग की है।ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षा का अधिकार हर बच्चे का है। सरकार की मंशा भी यही है कि हर गांव के बच्चे पढ़ें-लिखें। ऐसे में उनकी समस्या पर तुरंत संज्ञान लिया जाना चाहिए