मोहनलालगंज। संवाददाता
जय माँ दुर्गे श्रीकृष्ण लीला समिति द्वारा आयोजित पाच दिवसीय भव्य श्रीकृष्ण लीला का समापन मंगलवार को धूमधाम और श्रद्धा के साथ हुआ। लीला के अंतिम दिन का मुख्य आकर्षण रहा — अत्याचारी कंस का वध। श्रद्धालु दर्शकों को इस दृश्य का बेसब्री से इंतजार था और जैसे ही शाम ढली, मंच पर मथुरा प्रवेश का दृश्य जीवंत हुआ।कृष्ण और बलराम के मंच पर आगमन के साथ ही पूरा पंडाल “जय श्रीकृष्ण” के जयघोषों और तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। रंग-बिरंगी रोशनी, प्रभावशाली ध्वनि व्यवस्था और जीवंत अभिनय ने माहौल को भक्तिमय बना दिया।
हाथी वध से लेकर मल्लयुद्ध तक — रोमांच का चरम
कंस द्वारा भेजे गए विशालकाय हाथी के वध और उसके बाद हुए मल्लयुद्ध के मंचन ने दर्शकों को सांसें रोकने पर मजबूर कर दिया। हर दृश्य में श्रीकृष्ण का साहस और बलराम की वीरता देखते ही बनती थी।
कंस वध बना समापन का शिखर बिंदु
जैसे ही कंस और कृष्ण आमने-सामने आए, पंडाल में सन्नाटा छा गया। कंस की अकड़ और क्रूरता का अंत तब हुआ जब कृष्ण ने उसे सिंहासन से खींचकर नीचे गिरा दिया। इस दृश्य पर वातावरण “धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो” और “राधे कृष्णा” के नारों से गूंज उठा।
कलाकारों की अदाकारी ने छू लिया दिल
कृष्ण की भूमिका में संस्कार सिंह ने अपनी भावपूर्ण अदायगी से हर किसी का मन मोह लिया, जबकि कंस बने दीपक गुप्ता ने दमदार संवादों और सजीव हावभाव से खलनायक को जीवंत कर दिया। राधा की भूमिका में कोशल धीमन की प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया।
कलाकारों और सहयोगियों का हुआ सम्मान
समिति के सदस्य राजेंद्र गुप्ता बीबी, संजय गुप्ता, प्राशु गुप्ता, पंकज गुप्ता, अनुज पांडे, शिवराज सिंह, शैलेंद्र सोनी और एक प्राचीन ने समापन अवसर पर सभी कलाकारों एवं सहयोगियों को सम्मानित किया।पाँच दिवसीय यह श्रीकृष्ण लीला आयोजन आस्था, संस्कृति और रंगमंच का अद्वितीय संगम बनकर दर्शकों के दिलों में बस गया।
