रायबरेली। जिले के प्रतिष्ठित एवं नैक द्वारा प्रत्यायित ग्रेड-बी बैसवारा महाविद्यालय में प्राचार्य प्रो. निरंजन राय के कुशल नेतृत्व में महर्षि वाल्मीकि जयंती धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाई गई। इस अवसर पर “वाल्मीकि — विज्ञान विशारद, एक अनंत जीवन यात्री” विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी का सफल आयोजन किया गया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं मुख्य वक्ता प्रो. आर.एन. त्रिपाठी ने कहा कि “मनुष्य को महानायक बनाने का कार्य महर्षि वाल्मीकि ने किया।” उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि कर्म के बिना धर्म का कोई अस्तित्व नहीं है, मनुष्य अपने कर्मों से ही महान बनता है, जन्म से नहीं। उन्होंने आगे कहा कि सत्य और धर्म का पालन ही जीवन का सबसे बड़ा कर्तव्य है। भारतीय संस्कृति “अहम्” नहीं बल्कि “वयम्” की भावना पर आधारित है, जिसमें नारी, पशु और पक्षी सभी का सम्मान निहित है।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. निरंजन राय ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में सत्य, अहिंसा और कर्तव्य के महत्व को रेखांकित किया तथा पहचान संकट के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। वहीं, प्रबंधक श्री लाल देवेंद्र बहादुर सिंह ने सभी को जयंती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि ऐसे आयोजन छात्रों के व्यक्तित्व के सर्वांगीण विकास में सहायक होते हैं।
कार्यक्रम में अतिथियों का वाचिक स्वागत समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र कुमार सिंह ने किया। संचालन असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. रमेश चंद्र यादव ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन राजनीति विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. संजीव कुमार मिश्र ने प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के सभी शिक्षक, कर्मचारी, छात्र-छात्राएं एवं विभिन्न प्रदेशों से प्रतिभागियों ने उत्साहपूर्वक सहभागिता की।
(रिपोर्ट: टी.के. शुक्ला, पत्रकार)
