मोहनलालगंज।सम्पूर्ण समाधान दिवस पर न्याय मिलने की उम्मीद लेकर आने वाले फरियादियों के साथ अब मज़ाक किया जा रहा है। जिन कर्मचारियों या पुलिसकर्मियों पर मिलीभगत या घूसखोरी के आरोप लगाए जा रहे हैं, उन्हीं को जांच की जिम्मेदारी सौंप दी जा रही है। परिणामस्वरूप आरोपी खुद ही अपनी जांच कर खुद को क्लीन चिट दे रहे हैं, और अधिकारी उनकी रिपोर्ट को अंतिम मानते हुए शिकायतों को “निस्तारित” बता रहे हैं।ऐसा ही मामला मोहनलालगंज के धर्मेन्द्र कुमार यादव का सामने आया है। उन्होंने 8 सितंबर को सम्पूर्ण समाधान दिवस में नायब तहसीलदार निगोहां के पेशकार पर पांच सौ रुपए की घूस लेने के बाद भी दाखिल-खारिज का आदेश न करवाने की शिकायत की थी। अधिकारियों ने मामले की जांच के लिए पीठासीन अधिकारी को निर्देश तो दिए,तो आरोपी को ही पूरे मामले का जांच अधिकारी बना दिया गया और खुद जांच अधिकारी बनकर आरोपी ने जांच के नाम पर खुद को क्लीन चिट दे दी है।और मामले का निस्तारण करते हुए 17 सितंबर को आनन-फानन में दाखिल-खारिज का आदेश करवाकर 20 सितंबर को रिपोर्ट लगा दी गई कि “मामला निस्तारित” हो गया। रिपोर्ट में आरोप के मामले में कोई भी बात न लिखी न ही उसको लेकर रिपोर्ट में कोई जिक्र किया गया।इसको लेकर ग्रामीणों ने कहा कि ऐसे मामलों से सम्पूर्ण समाधान दिवस की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। जब आरोपी ही जांच अधिकारी बन जाएं, तो न्याय की उम्मीद कैसे की जा सकती है ग्रामीणों ने उच्चाधिकारियों से मांग की है कि ऐसी शिकायतों को गंभीरता से लेकर उच्चाधिकारी पूरे मामले की जांच कार्यवाही करे।ताकि सरकार द्वारा चलाए जा रहे समाधान दिवस पर लोगो की विश्वनीयता बनी रहे।
