मोहनलालगंज।निगोहां के शेरपुर लवल गांव में चकबंदी को लेकर वर्षों से विवाद चल रहा है। इसी कड़ी में सोमवार को चकबंदी विभाग के अधिकारी गांव में नाप-जोख व प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए आ रहे थे। भनक लगते ही सैकड़ों ग्रामीण सड़क पर उतर आए और चकबंदी के खिलाफ जोरदार नारेबाजी करने लगे। माहौल बिगड़ता देख चकबंदी अधिकारी निगोहां थाने से ही वापस लौट गए।
ग्रामीणों का कहना है कि बीते 13 वर्ष से गांव में चकबंदी करवाने और न करवाने का विवाद चल रहा है। गांव के लगभग 90-95 फीसदी लोग चकबंदी के विरोध में हैं। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि बिना पूर्व सूचना अधिकारियों ने अचानक गांव में घुसकर प्रक्रिया आगे बढ़ाने की कोशिश की।
गुपचुप गोसाईखेड़ा पहुंचे अधिकारी, ग्रामीणों ने किया घेराव…….
बताया गया कि कुछ देर बाद चकबंदी एसीओ प्रवीण कुमार गौतम, लेखपाल अनिल समेत टीम गुपचुप तरीके से गांव के मजरा गोसाईखेड़ा पहुंची और नाप-जोख का जायजा लेने लगी। वहां मौजूद ग्रामीणों को जब इस बात की जानकारी हुई, तो वे मौके पर पहुंच गए और अधिकारियों को घेरते हुए कड़ा विरोध जताया। इस दौरान दोनों पक्षों में तीखी नोकझोंक भी हुई।इसके बाद चकबंदी अधिकारी निगोहां थाने पहुंचे। लेकिन इस बीच बड़ी संख्या में ग्रामीण भी थाने पहुंच गए और थाना परिसर में ही चकबंदी विभाग के खिलाफ जमकर नारेबाजी करने लगे। करीब एक घंटे चले हंगामे के बीच आखिरकार ग्रामीणों और अधिकारियों के बीच यह सहमति बनी कि चकबंदी विभाग अब शेरपुर लवल गांव नहीं आएगा, तब जाकर ग्रामीण शांत हुए।
ग्रामीण बोले पहले भी विरोध स्पष्ट, फिर क्यों दबाव…….
ग्राम प्रधान प्रतिनिधि रघुराज, शैलेंद्र वर्मा, प्रदीप बाजपेयी, मनीष समेत अनेक ग्रामीणों का कहना है कि गांव में कुछ प्रॉपर्टी डीलरों को छोड़कर लगभग पूरा गांव चकबंदी नहीं चाहता। कई बार चुनाव भी कराए गए, जिसमें करीब 95 फीसदी मत चकबंदी के विरोध में आए हैं। इसके बावजूद विभाग बार-बार दबाव बना रहा है।2018 में कर्मचारी को बनाया था बंधक,गांव में चकबंदी को लेकर हंगामे का यह पहला मामला नहीं है।2018 में 240 किसानों ने चकबंदी के विरोध में हस्ताक्षर कर दिए थे, जबकि पक्ष में मात्र 103 नाम आए थे। इसके अलावा तीन वर्ष पहले 383 ग्रामीणों ने डीएम से लेकर अन्य अधिकारियों को ज्ञापन देकर चकबंदी न कराने की मांग की थी।22 मार्च 2019 को चकबंदी कर्मचारी अकबर अली नोटिस लेकर गांव पहुंचा था तो लगभग 4 दर्जन किसान इकट्ठा होकर कर्मचारी को बंधक बना चुके हैं।ग्रामीणों का कहना है कि विभाग यदि चकबंदी रोक देता तो गांव में बार-बार इस तरह की तनावपूर्ण स्थिति पैदा ही नहीं होती। अब ग्रामीणों ने सख्त चेतावनी दी है कि यदि दोबारा कोई अधिकारी गांव पहुंचा, तो इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।
