शिव पार्वती विवाह का मनोहारी वर्णन सुनकर हर हर महादेव जयकारों से गूंजा उठा पंडाल
मोहनलालगंज। संवाददाता
श्रीधाम वृंदावन से पधारे प्रसिद्ध कथावाचक महाराज श्री दिनेशानंद मृदुल जी ने मोहनलालगंज के धर्मावत खेड़ा गांव में तीसरे दिन कथा श्रवण कराते हुए कहा कि महाभारत केवल युद्ध का ग्रंथ नहीं, बल्कि मानव जीवन के लिए दिशा और दृष्टि प्रदान करने वाली एक महान शिक्षापुंज है।उन्होंने कहा कि मनुष्य को जीवन में स्वार्थ, लोभ और मोह, विशेषकर पुत्र मोह, से दूर रहकर धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।
महाराज श्री ने आगे कहा कि मनुष्य को अपने बड़े-बुजुर्गों का सम्मान, भाइयों में प्रेम, और अपने से छोटे पद पर कार्यरत व्यक्तियों के प्रति आदर का भाव रखना चाहिए। उन्होंने ईर्ष्या, द्वेष और अहंकार को जीवन का सबसे बड़ा शत्रु बताते हुए कहा कि प्रत्येक परिस्थिति का धैर्य और साहस के साथ सामना करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि किसी भी निर्णय के दौरान हृदय और मस्तिष्क दोनों का समन्वय आवश्यक है, तथा निर्णय लेने से पहले अपने बड़ों को विश्वास में अवश्य लेना चाहिए और दूसरों के बहकावे में नहीं आना चाहिए। उन्होंने द्यूत-क्रीड़ा एवं अन्य व्यसनों को जीवन का विनाशक बताते हुए उनसे दूर रहने की सलाह दी।महाराज श्री ने जोर देकर कहा कि पुरुषार्थ से अर्जित संपत्ति और परिवार की प्रतिष्ठा को कभी भी दांव पर नहीं लगाना चाहिए। जीवन में गीता सार का नियमित स्वाध्याय मनुष्य को सत्य की ओर ले जाता है।कथा के अंतिम चरण में उन्होंने सती के देह त्याग और शिव-पार्वती विवाह का मनोहारी वर्णन किया। दिव्य कथा का यह दृश्य सुनकर पूरा पंडाल ‘हर-हर महादेव’ के जयकारों से गुंजायमान हो उठा और भाव-विभोर श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए।इस मौके पर मुख्य रूप से आयोजक शिव प्रताप सिंह, मनोज सिंह अमरेंद्र सिंह सहित अनुराग सौरभ,अभिषेक व क्षेत्रीय भक्तगण मौजूद रहे।
