
दोतरफा संवाद, सवाल जवाब का मौका न मिलने से मायूस हुए युवा
राहुल गांधी के युवा कांग्रेस के “बब्बर शेरों” पर भरी पड़े कांग्रेस के “बूढ़े शेर”
युवा संवाद का मंच हाइजैक कर बूढ़े शेरों ने बदल दी कार्यक्रम की दिशा
लालगंज रायबरेली –
“मालूम था, मालूम है, कुछ भी हासिल नहीं होगा,
मगर वो इश्क ही क्या, जिसमें खुद को तड़पाया न जाए!”
आज सरेनी विधानसभा अंतर्गत लालगंज में आयोजित राहुल गांधी के बहुप्रचारित, बहुप्रतीक्षित युवा संवाद कार्यक्रम के आयोजक रायबरेली युवा कांग्रेस के सारे पदाधिकारियों के दिमाग में कुछ ऐसी ही लाइनें चल रही होंगी।
आज सुबह से लालगंज के रायबरेली रोड स्थित एक गेस्ट हाउस में सुबह 10 बजे से सैकड़ों की संख्या में रायबरेली के कई हिस्सों से युवाओं का हुजूम आना शुरू हो गया था जो राहुल गांधी के लगभग 2बजे के बाद कार्यक्रम में पहुंचने पर हजार की संख्या के आस पास पहुंच गया था। युवा कांग्रेस के पदाधिकारी और उनकी टीम पिछले तीन दिनों से बड़े उत्साह के साथ लालगंज में जमीं थी और दिन रात एक किए हुए थी।जिसकी वजह भी थी पहली बार गांधी परिवार के सदस्य रायबरेली सांसद राहुल गांधी ने काफी कोशिशों के बाद युवा कांग्रेस के लोगों के कहने पर युवाओं से उनकी समस्याओं व सुझावों को सुनकर सीधे सवाल जवाब कार्यक्रम करने को लेकर युवा संवाद कार्यक्रम को हरी झंडी दी थी। यह कार्यक्रम पूरी तरह से युवाओं का था और युवा कांग्रेस के लोगों को ही मंच पर बैठना था। पर शायद रायबरेली कांग्रेस और रायबरेली के युवाओं की किस्मत में संवाद का बैरियर न टूटना ही लिखा था। राहुल गांधी पूरे देश में घूम घूम कर युवा कांग्रेस के जिन युवाओं को बब्बर शेर बताते रहते हैं, उन बब्बर शेरों पर कांग्रेस के बूढ़े शेर फिर भारी पड़ गए और युवा केंद्रित युवा संवाद कार्यक्रम में भी मंच पर सजने का मोह वो आज भी नहीं छोड़ सके। राहुल गांधी के कार्यक्रम में पहुंचते ही बूढ़े शेर फौरन मंच पर जम गए और युवा कांग्रेस नेताओं को कोने में जगह लेनी पड़ी।
उस पर कोढ़ में खाज की स्थिति तो तब पैदा हो गई जब राहुल गांधी मात्र कार्यक्रम में 10 मिनट अपना रटा रटाया भाषण पढ़कर उपस्थित युवाओं से टाटा बॉय बॉय करके लखनऊ से फ्लाइट पकड़ने के लिए रवाना हो गए।अचानक ही कार्यक्रम का मकसद भटकता देख सुबह से 4घंटे से इंतजार कर रहा, अपना सारा काम धंधा छोड़कर आया युवा ठगा सा खड़ा देखता रह गया। इस घटना के बाद बहुत से युवाओं ने कहा कि जब अपना ही भाषण देना था तो इसे युवा संवाद का नाम क्यों दिया?
युवा संवाद के जरिए राहुल गांधी को वास्तविकता से परिचय करने, युवाओं से सीधे जोड़ने की युवा कांग्रेस की मंशा धरी की धरी रह गई साथ ही विश्वसनीयता और साख पर बट्टा अलग से लग गया।नाम न छापने की शर्त पर युवा नेताओं का कहना था कि इस तरह से कैसे आगे कार्यक्रम होंगे, उन पर विश्वास करके फिर कौन आयेगा। युवाओं के कार्यक्रम में बूढ़े शेरों को मंच बख्श देना चाहिए। आम युवाओं का कहना था इतनी खराब हालत में भी कांग्रेस बदलने को तैयार नहीं है। बिना डायरेक्ट संवाद के जोड़ तोड़ जुगाड़ से शायद लोकसभा चुनाव में सफलता मिल जाए मगर विधानसभा चुनाव, पंचायत चुनाव में कांग्रेस के लिए सफलता हासिल करना टेढ़ी खीर ही है।