
सोतवा खेड़ा गांव में वन माफिया ने हरे नीम के पेड़ को काटकर किया जमींदोज
वन माफियाओं के सहयोगी की भूमिका में नजर आ रहा वन विभाग
सरेनी(रायबरेली)।वन विभाग की लापरवाही के चलते क्षेत्र में धड़ल्ले से हरे पेड़ों की कटाई की जा रही है।इसके बाद भी विभाग वन माफियाओं पर शिकंजा नहीं कस पा रहा है।प्रशासन भी इस तरफ अनदेखी कर रहा है।जबकि हर वर्ष सरकार व प्रशासन हरियाली को बढ़ावा देने के लिए पौधरोपण अभियान चलाता है।इस पर सरकार द्वारा करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं,विभिन्न संस्थाएं भी लगातार जागरूक करते हुए पौधरोपण कर रही हैं,जिससे हमारा क्षेत्र व देश हरा भरा रहे और प्रकृति संरक्षण का सपना साकार हो सके।जबकि उसकी सुरक्षा को लेकर संबंधित विभाग ही लापरवाही बरतते हैं।एक ऐसा ही मामला प्रकाश में आया है जहां थाना क्षेत्र के अंतर्गत सोतवाखेड़ा गांव में बेखौफ वन माफिया ने बिना परमिट वन विभाग व पुलिस की मिलीभगत से प्रतिबंधित हरे नीम के पेड़ को काटकर जमींदोज कर दिया।जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया में वायरल हुई तो खुद का दामन बचाने के लिए वन विभाग ने महज खानापूर्ति करते हुए मुकदमा पंजीकृत करने हेतु तहरीर दी है।वहीं जब उक्त संबंध में वन दरोगा ओपी सिंह से जानकारी के लिए दूरभाष पर संपर्क किया गया तो उन्होंने काल रिसीव करना मुनासिब नहीं समझा।वहीं जब वन रक्षक आशीष कुमार से जानकारी की गई तो उन्होंने बताया कि सोतवाखेड़ा गांव में अवैध कटान की सूचना मिली थी।मौके पर पहुंचने से पहले ही लकड़कट्टा एक हरे नीम को काटकर लकड़ी लेकर जा चुका था।उक्त संबंध में थाने तहरीर दी गई है,संबंधित के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत कराया जाएगा।उल्लेखनीय है कि बढ़ते पर्यावरण संकट के समाधान के लिए पर्यावरणविद्, वैज्ञानिक,समाजसेवी तथा सरकार द्वारा भले ही हर वर्ष पौधरोपण कराकर वन संरक्षण का प्रयास किया जा रहा हो लेकिन मौके की स्थिति बेहद चौकाने वाली है।वनों से कीमती लकड़ियों के काटे जाने से वन समाप्त होते जा रहे हैं।वन विभाग के लोग वन माफियाओं के सहयोगी जैसी भूमिका अदा करते हैं।वनों से साखू,सागौन,वियजसाल,खैर,
चिलबिल,बबूल के पेड़ सिर्फ नाम मात्र के बचे हैं।