लखनऊ। निगोहां क्षेत्र के दखिना गांव में चल रही सात दिवसीय शिवपुराण कथा के छठे दिन श्रद्धा, भक्ति और तत्वज्ञान की त्रिवेणी बहती दिखाई दी। वरिष्ठ समाजसेवी अनमोल तिवारी के संयोजन में आयोजित इस धार्मिक आयोजन में कथावाचक आचार्य जयशंकर शुक्ला ने शिव तत्व की महानता और आध्यात्मिक स्वरूप का सारगर्भित वर्णन किया।कथा के दौरान आचार्य शुक्ला ने कहा कि यह चराचर जगत स्वयं शिव का ही विग्रह है। जब जीव अज्ञान के कारण पाश (बंधन) में बंध जाता है, तब वह अपने वास्तविक स्वरूप को भूल जाता है। एक ही परम तत्व को भिन्न-भिन्न रूपों में देखा और जाना जाता है। कोई उसे अनादि और अनंत कहता है, तो कोई ईश्वर, ब्रह्म, चिदात्मक, विषयात्मक या व्यक्तिवाचक तत्व के रूप में मान्यता देता है।उन्होंने विस्तार से बताया कि वही एक शिव रूप है जो भूत, इंद्रियाँ, अंतःकरण, और प्रकृति के सभी तत्वों में व्याप्त है। वही तत्व ब्रह्म भी है और वही चैतन्य भी है। वह सभी पिंडों में वर्त्तमान जाति रूप में स्थित है और व्यक्ति रूप में आवृत्त होता है। जाति और व्यक्ति, दोनों ही उसी एक महाशक्ति के आदेश से परिवर्तनशील हैं। यही कारण है कि भगवान महादेव को ‘जाति और व्यक्ति’ स्वरूप दोनों में कहा गया है।कथा में आए श्रद्धालुओं को यह तत्वज्ञान आत्मसात करने की प्रेरणा दी गई कि समाज में फैले अज्ञान और द्वंद को समाप्त करने का एक ही मार्ग है शिव तत्व को समझना और आत्मा से जोड़ना।शिव ही संसार का सार हैं, इस कथन के माध्यम से आचार्य शुक्ला ने यह संदेश दिया कि शिव केवल पूजनीय देव नहीं, बल्कि सम्पूर्ण सृष्टि के मूल में स्थित परम चेतना हैं। इस अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे और कथा के आध्यात्मिक महत्व को हृदय से ग्रहण किया।कार्यक्रम का समापन भजन, आरती और प्रसाद वितरण के साथ हुआ। आयोजकों ने बताया कि शिवपुराण कथा का समापन अगली संध्या को विशाल भंडारे के साथ किया जाएगा।
