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आओ आपको दिखाते हैं डिजिटल भारत विकास की नदियां जहां जिले में विकास आया और गांव को कचड़ा कर गया उसे कचरे में गांव के छोटे-छोटे बच्चे स्कूल जाते हैं वह भी कचरे में गिरती पड़ते हुए कुछ तो जो थोड़ा सा बड़े हैं वह स्कूल पहुंच जाते हैं जो छोटे बच्चे हैं उनका स्कूल सपना हो गया मां-बाप सोचते हैं कि मेरा बच्चा सकुशल वापस आ जाए क्योंकि गंगा एक्सप्रेसवे द्वारा मिट्टी का खनन कराया गया था वहां के जे ई ने कहा था कि हम इस रोड को बनवा देंगे लेकिन सब वही हुआ जैसे भारत में सफेद हाथी दिखाना हो गया मासूम गांव के लोगों ने उन पर विश्वास कर लिया आज विश्वास का नतीजा यह है कि बच्चे बूढ़े सब गिर रहे हैं कोई भी अधिकारी देखने वाला नहीं अधिकारी तो जैसे-तैसे जिस जनता के प्रतिनिधि को चुनकर जनता ने एक मुख्य कुर्सी पर बैठा करके अपनी बात रखने के लिए भेजा था वह भी कान में रूई लगा चुके हैं जागो जनप्रतिनिधि जागो त्रिपुरारीपुर गांव की जनता त्राहिमाम त्राहिमाम कर रही है बिजली का खंभा भी टूट गया है डंपर तोड़ कर चले गए कोई नहीं है शुद्ध लेने वाला। अगर 11000 लाइन का करंट जमीन पर आ जाए तो वही होगा जैसे कहीं कथाओं में सुना ह
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