सरकारी जमीन पर माफियाओं का कब्ज़ा, तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार उजागर…..
लखनऊ।मोहनलालगंज तहसील क्षेत्र के खुजौली ग्राम पंचायत में सरकारी जमीन हड़पने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत से भू-माफियाओं ने फर्जी दस्तावेजों का खेल रचकर हरिजन आबादी दर्ज गाटा सं. 1651 पर कब्ज़ा जमाए रखा है। अदालत के आदेश और जुर्माना लगने के बावजूद अवैध निर्माण तोड़ा नहीं गया, उल्टा अब पेंशन का लालच देकर फर्जी बैनामा करा डाला गया।शिकायतकर्ता सोहन पुत्र स्व. पांचू, जो अशिक्षित व वृद्ध हैं, ने मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में सनसनीखेज खुलासा किया है। उनका आरोप है कि विपक्षी हरिश्चन्द्र यादव, अनुज यादव और बृजेश सिंह उन्हें वृद्धा पेंशन बनवाने के बहाने तहसील ले गए और दबाव बनाकर फर्जी बैनामा करा लिया। बैनामे में ₹17.5 लाख का सौदा दिखाया गया और दो चेक (₹9 लाख व ₹8.5 लाख) का हवाला दिया गया, लेकिन खाते में एक रुपया तक नहीं पहुँचा। ग्रामीणों का कहना है कि जांच में ये चेक फर्जी साबित होंगे।दरअसल, उक्त गाटा हरिजन आबादी की भूमि है। इस पर पूर्व में चल रहा मुकदमा संख्या 5487/2015 पहले ही खारिज हो चुका है और विपक्षियों पर ₹25,000 का जुर्माना लगाते हुए कब्ज़ा छोड़ने का आदेश हुआ था। बावजूद इसके हरिश्चन्द्र यादव की दुकानें आज भी जमीन पर खड़ी हैं।पूर्व प्रधान प्रतिनिधि चन्द्र शेखर यादव ने इस पूरे फर्जीवाड़े का विरोध करते हुए चौकी प्रभारी खुजौली को सूचना दी थी। धारा 145 के तहत आदेश भी कराया गया था कि इस जमीन पर कोई निर्माण न हो, लेकिन आदेश ताक पर रखकर दबंगई से कब्जा कायम रहा। अब नए फर्जी दस्तावेज बनवाकर सरकारी जमीन को वैध दिखाने की कोशिश हो रही है।ग्रामीणों का आरोप है कि बिना तहसील कर्मचारियों की मिलीभगत यह फर्जीवाड़ा संभव ही नहीं है। रजिस्ट्रार कार्यालय से लेकर पटवारी व लेखपाल तक सबकी भूमिका संदिग्ध बताई जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि पूरा मोहनलालगंज तहसील क्षेत्र ऐसे ही भ्रष्टाचार का अड्डा बना हुआ है, जहाँ गरीबों और दलितों की जमीनें माफियाओं के नाम कराई जा रही हैं।
पीड़ित व ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मांग की है कि विपक्षियों पर कूटरचना, धोखाधड़ी, सरकारी दस्तावेज छुपाने और जमीन हड़पने जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हो। साथ ही तहसील के भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाए। ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द प्रशासन ने कदम नहीं उठाया, तो माफिया पूरे गांव की सरकारी जमीनें हड़प लेंगे और तहसील भ्रष्टाचार का गढ़ बना रहेगा।
