
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रोफेसर एम.डी. सिंह ने बताया कि हमें लालच और आवश्यकता के बीच के अंतर को समझना होगा अन्यथा इसी प्रकार पर्यावरण के विनाश से प्राकृतिक आपदाओं की बारंबारता में वृद्धि होगी। हमें भारतीय संस्कृति के 'संतोषम परम सुखम` के मूल्य को अपनाना चाहिए। भूगोल विभाग के सहायक आचार्य डॉ मनोज कुमार ने कहा कि भूमंडलीय तापन तथा जलवायु परिवर्तन के खतरों से निपटने के लिए हमें अधिक से अधिक पेड़ लगाने की आवश्यकता है।भूगोल विभागध्यक्ष डॉ सत्येंद्र सिंह ने कहा कि हमारी पृथ्वी पर सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए बहुत कुछ है लेकिन किसी एक के भी लालच के लिए बहुत कम है।
महाविद्यालय के प्राचार्य प्रोफेसर निरंजन राय ने बताया कि पर्यावरण के संरक्षण के लिए जंगलों के कटाव को रोकने की सख्त आवश्यकता है। डॉ के के दीक्षित ने अपने उद्बोधन में कहा कि हम सबको मिलकर साझा प्रयास करने की जरूरत है तभी इस पृथ्वी पर होने वाली आपदाओं से हम निपट सकते हैं । डॉ दीक्षित ने अपनी 30 साल पुरानी स्मृतियों को साझा कर छात्रों के बीच रोमांच उत्पन्न कर दिया।
प्रबंधक श्री लाल देवेंद्र बहादुर सिंह ने सभी छात्र एवं छात्राओं को बधाई एवं शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस तरह के आयोजन से छात्रों के व्यक्तित्व का विकास एवं ज्ञानवर्धन होता है । इस अवसर पर महाविद्यालय परिवार के समस्त शिक्षक, कर्मचारी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे ।